चकोरी की खेती कैसे होती है | Chakori farming in hindi

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इस आर्टिकल में जानेगे की चकोरी क्या है, चकोरी की खेती ( Chakori farming ) कब होती है, चकोरी की खेती कैसे करे, चकोरी की खेती सबसे ज्यादा कहा की जाती है, चकोरी की किस्म , चकोरी की खेती का उत्पादन, खर्च एवं लागत और चकोरी की खेती करने के फायदे और चकोरी की खेती से जुड़े कुछ सवाल जवाब के बारे में जानेगे।

चकोरी की खेती आज के समय में अन्य फसलों की तुलना में ज्यादा की जाती है। क्योकि यह फसल कम समय में जल्दी तैयार होने वाली फसल है।

चकोरी की खेती कैसे होती है | Chakori farming in hindi

चकोरी की खेती में बुवाई के समय ही फसल के भाव पता चल जाते है जिससे यदि लोगो को सही लगता है तो वह इसकी खेती करते नहीं तो वो अन्य खेती कर लेते है जिससे उन्हें बाद में नुकसान होने का सवाल ही नहीं उत्पन होता है।

भारत में अलग अलग जगह पर इसकी खेती की जाती है। इसकी खेती एक व्यापार के तरीके से बहुत तेजी से बढ़ रही है। व्यापार की दृष्टि से इसकी खेती कृषि क्षेत्र को अलग दिशा की तरफ ले जा रही है।

चकोरी क्या है |

चकोरी एक ऐसी फसल है जिसके पाउडर से कॉफी तैयार किया जाता है। चकोरी की फसल से हरे चारे भी जानवरो के लिए प्राप्त होते है।

चकोरी क्या है

चकोरी एक बारहमासी पौधा है। जिसकी खेती समतल जमीन पर की जाती है यदि समतल जमीन न हो तो उसे यंत्रो की मदद से समतल बनाना पड़ता है।

यह नगदी फसल होती है। चकोरी को कई नामो से जाना जाता है जैसे कासनी, चिकोरी और चकरी। इसकी खेती शकरकंद की खेती की तरह होती है।

जिस तरह आलू, मूली और शकरकंद जमीन के अंदर होते है उसी तरह चकोरी भी जमीन के अंदर होती है।

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चकोरी की खेती भारत में कहाँ होती है |

भारत में निम्नलिखित जगहों पर इसकी खेती की जाती है।

  • उत्तराखंड
  • पंजाब
  • कश्मीर
  • उत्तरप्रदेश
  • मध्यप्रदेश

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चकोरी की किस्म |

चकोरी की मुख्यरूप से दो किस्म होती है। जो निम्नलिखित है।

  • जंगली प्रजाति
  • व्यापारिक प्रजाति

जंगली प्रजाति

इस प्रजाति की चकोरी खास कर पशुओ के चारे के लिए उगाई जाती है क्योकि इसकी जो पत्तिया होती है वह आकार में बड़ी होती है। इसकी पत्तियों के सेवन से पशुओ के दूध की मात्रा में बढ़ती है।

इस प्रजाति को एक बार खेती करने पर इसकी पत्तियों को 2 से 3 बार काटा जा सकता है। साथ ही इस प्रजाति में चकोरी के जो कंद होते है वह थोड़े छोटे एवं पतले होते है।

व्यापारिक प्रजाति

इस प्रजाति को मुख्य तौर पर व्यापार करने के लिए ही उगाया जाता है। यह फसल बुवाई के 140 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाती है।

चकोरी की खेती

इस प्रजाति में चकोरी के जो कंद निकलते है वह मीठे होते है और जिससे इस प्रजाति का व्यापार किया जाता है।

इसके अलावा भी K1 और K13 की भी खेती की जाने लगी है।

K1 प्रजाति की चकोरी

इस प्रजाति की चकोरी के पौधे की ऊंचाई अन्य प्रजाति की चकोरी से थोड़ी बड़ी होती है। इस चकोरी के जो कंद होते है वह थोड़े मोटे, लम्बे और थोड़े नुकीले या खुरदुरे चमड़ी के होते है जैसे मूली या कीवी की चमड़ी होती है।

इस प्रजाति की चकोरी का रंग सफेद होता है तथा इसकी खुदाई करते समय ध्यान रखना पड़ता है क्योकि इनकी कंद को उखाड़ते समय टूटने की संभावना होती है।

K13 प्रजाति की चकोरी

इस प्रजाति के चकोरी की खेती हिमाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रो में ज्यादा की जाती है। इस प्रजाति की चकोरी की कंद आकार में बड़ी और ज्यादा गूदे वाली होती है।

इस प्रजाति के गूदे का रंग सफेद होता है। इस प्रजाति की खुदाई करते समय ज्यादा सावधानी नहीं रखनी पड़ती क्योकि इनकी कंद खुदाई करते समय टूटती नहीं है।

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चकोरी की खेती कैसे होती है |

इसकी खेती निम्नलिखित तरीको से की जाती है।

चकोरी की खेती के लिए भूमि का चयन एवं तैयारी

इसकी खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। परन्तु बलुई और दोमट मिट्टी इसके उत्पादन के लिए अच्छी मानी जाती है। साथ ही ध्यान रखे की इसकी भूमि में पानी एकत्रित न हो पाए।

इसकी खेती के लिए सबसे पहले खेत की 1 से 2 बार जुताई कर लेनी चाहिए और उसके बाद खेत को पाटा की मदद से समतल करा लेना चाहिए।

इसकी खेती के लिए जितनी मिट्टी भुरभुरी होगी उतना अच्छा होता है। क्योकि इसकी पूरी खेती बीजो पर आधारित होती है। साथ ही इसकी मिट्टी का P.H सामान्य होना चाहिए।

चकोरी की खेती के लिए जलवायु

इसकी खेती के लिए ज्यादा गर्म जलवायु अच्छी नहीं होती है और गर्म जलवायु में चकोरी की फसल खराब हो जाती है। इसलिए इसकी खेती ठन्डे जलवायु में करनी चाहिए।

इसकी खेती के लिए 20°C से 25°C तक का तापमान उचित माना जाता है।

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चकोरी के बीज

यह खेती contract base पर होती है अर्थात जिसे इसकी खेती करनी है उसे वही से बीज प्राप्त हो सकेगा जो इनकी फसल को खरीदेगा।

इसमें खरीददार खेती करने वाले को बीज जब बेचते है तभी इनकी फसल का दाम निश्चित कर लेते है जिससे इसकी जो भी खेती करता है उसे प्रति क्विंटल का भाव पहले से ही पता चल जाता है।

चकोरी की खेती में बीज की मात्रा

चकोरी के बीज आपके जमीन के ऊपर आधारित होते है। यदि आपको इसकी खेती 1 एकड़ जमीन में करनी है तो उसके लिए 600gm बीज लगता है। यही खेती 1 बीघा में 100gm बीज की मात्रा लगती है।

चकोरी की खेती में बुवाई

वैसे तो इसकी खेती में बीजो की बुवाई किसी भी महीने में कर सकते है। बस अत्यधिक गरमी नहीं होनी चाहिए। चकोरी के बीजो की बुवाई अक्टूबर से नवंबर के महीने में करना अच्छा होता है।

अक्टूबर से नवंबर के महीने में यदि बुवाई करते है तो इसकी फसल अप्रैल से मई के महीने तक तैयार हो जाती है। जिससे इसकी खेती में फसल का उत्पादन भी अच्छा होता है।

चकोरी के लिए जो खेत तैयार हुए है उनमे कियारी में बीजो की बुवाई करनी होती है। कियारी पर एक बीज को दूसरे बीज से 30cm से 30cm की दुरी पर बोना चाहिए तथा बीज को 3 cm से 4 cm गहराई में लगाना चाहिए।

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चकोरी की खेती में खाद

इसकी खेती में खाद को समय समय पर छिड़काव करना पड़ता है। इसमें 50kg यूरिया, 15kg फास्फेट, एवं 15kg पोटाश को 1 एकड़ खेत में बीज के साथ मिलाकर छिड़काव करना पड़ता है।

पहले छिड़काव के 30 दिन बाद यूरिया 50kg प्रति एकड़ और ह्यूमिक एसिड 1kg प्रति एकड़ सिचाई के समय पानी के साथ में मिलाकर खेत में डाले।

यदि चकोरी फटने लगे तो आपको 600gm बोरोन को प्रति एकड़ पानी में मिलाकर खेत में डालना है।

चकोरी की खेती में सिंचाई

इसकी खेती में ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। इसकी खेती में सबसे पहले जुताई के बाद ही एक बार खेत में पानी लगाना चाहिए।

जिससे खेत की मिट्टी में नमी आ जाती है जो फसल के लिए काफी फायदेमंद होती है। उसके बाद 7 से 8 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए।

जब खेत में नमी कम हो जाये या फिर बुवाई के 30 दिन बाद खेत की सिचाई करनी चाहिए। इस तरह पूरी फसल जब तक तैयार हो तब तक 5 से 6 बार सिचाई करनी पड़ती है।

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चकोरी की खेती की निराई गुड़ाई

इसकी खेती में समय समय पर निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए। यदि निराई या गुड़ाई नहीं की जाये तो खेत में बहुत ज्यादा खरपतवार हो जाएगे साथ ही फसल के वृद्धि में भी कमी देखने को मिलेगी।

इसकी खेती में बुवाई की 25 दिन बाद ही यदि ज्यादा पौधे खेत में हो जाये तो उसकी निराई कर लेनी चाहिए। या फिर खेती यदि घनी हो गयी हो तो भी कुछ पौधों को खेत में से निकाल देना चाहिए।

इसके बाद खेत में सिचाई के बाद निराई गुड़ाई करनी चाहिए जिससे खेत में खरपतवार वापस न हो पाए।

चकोरी की खेती की खुदाई

चकोरी की फसल मार्च के अंत तक तैयार हो जाती है। तो इसकी खुदाई हमे अप्रैल के 1 और 2 हप्ते में ही कर लेनी चाहिए। क्योकि इस समय न ज्यादा ठंडी होती है और न ही ज्यादा गर्मी होती है।

यदि इसकी खेती की खुदाई में यदि देरी की गयी तो इसकी पूरी फसल गर्मी के वजह से बर्बाद हो जाएगी।

चकोरी की खेती करने के फायदे

  • इसकी खेती की सबसे अच्छी बात यह है की इसमें मेहनत कम लगती है और इसकी खेती से पैदवार ज्यादा होता है।
  • इसकी फसल को कोई भी जंगली जानवर खराब नहीं करते अर्थात जंगली जानवर से इसकी खेती को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता है।
  • इसकी खेती में लागत भी कम लगती है। जिससे इसकी खेती करने वालो को ज्यादा मुनाफा मिलता है।
  • इसमें खेती करने से पहले ही उसके रेट का पता चल जाता है।
  • इसकी खेती में ज्यादा सिचाई की जरुरत भी नहीं होती है।
  • इसके खेती में जो पौधो के पत्ते होते है उन्हें जानवरो के हरे चारे में भी इस्तेमाल कर सकते है।
  • इसकी खेती के बाद इसको कहां बेचे इसकी समस्या नहीं होती है।
  • चकोरी का उपयोग कैंसर जैसी बीमारियों के लिए भी औषधि के रूप में होता है।

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चकोरी की खेती में उत्पादन, खर्च, और कमाई

इसकी खेती जलवायु पर आधारित होती है। इसकी खेती में अच्छी पैदावार हुई तो 150 क्विंटल से 180 क्विंटल प्रति एकड़ में उत्पादन किया जा सकता है। कई बार इसका उत्पादन 200 क्विंटल प्रति एकड़ होता है।

chakori ki kheti

चकोरी की खेती में कुल खर्च ₹10,000 से लेकर ₹12,000 तक आता है। अन्य खेती की तुलना में इसकी खेती में इतना खर्च नहीं आता है। इसलिए अब कई लोग दूसरी खेती की तुलना में इसकी खेती करने लगे है।

इसकी खेती में इस बार चकोरी के कंद का भाव ₹400 प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचा गया। इसके बीज ₹8000 प्रति क्विंटल के हिसाब से बाजार में बेचे जाते है।

इसके बाजारी भाव को ध्यान में रखे तो इसकी खेती करने वालो की कमाई ₹72,000 से ₹75,000 जितनी होती है और यदि इसमें से खर्च को घटा दे तो ₹60,000 से ₹65,000 जितना मुनाफा इसकी खेती में से प्राप्त होता है।

चकोरी की खेती से जुड़े सवाल और जवाब

चकोरी से क्या बनता है?

चकोरी यह ऐसी फसल है जिसका कैंसर जैसी बीमारियों में औषधि के रूप में उपयोग होता है साथ ही चकोरी को सुखाकर इसका पाउडर बनाया जाता है जो की कॉफी में मिलाया जाता है।

चकोरी का रेट क्या है?

चकोरी का रेट वही लोग निश्चित करते है जी इनका बीज देते है। इस बार चकोरी का रेट ₹400 प्रति क्विंटल बेचा गया।

चकोरी क्या है?

चकोरी यह नगदी फसल है और कम समय में जल्दी उत्पादन देने वाली फसल है। इसका उपयोग कॉफी के पाउडर तथा औषधि के रूप में किया जाता है।

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