भारत में केज कल्चर मछली पालन कैसे शुरू करें | Cage Culture Fish Farming
इस आर्टिकल में हम जानेंगे की Cage culture क्या है, Cage culture से मछली पालन कैसे करे , Cage culture में जाल के प्रकार, Cage culture में किन मछलियों का पालन कर सकते है, Cage culture में ध्यान में रखने योग्य बाते और Cage culture में खर्च और कमाई के बारे में जानेगे।
Cage culture एक ऐसी टेक्नोलॉजी है। जिसका उपयोग मछली पालन में किया जाता है। मछली पालन आज के समय में तीव्र गति से बढ़ता हुआ उद्योग है।
यदि इसमें नई – नई तकनीकों का उपयोग किया जाये तो इस उद्योग को अपना कर भी लोगो की अच्छी खासी कमाई हो सकती है।
यह कम लागत की तकनीक है। इसको अपनाने में ज्यादा खर्चा नहीं होता है। जिसे हम तालाब, झील या नदी जहा पानी का स्रोत हो।
जहा पर पानी का निकाल हो वहा इसे सरलता से लगया जा सकता है। यह अधिकतर नेट का जाल होता है। लोहे की जाल को पानी में रखने से जंग लगने की अधिक संभावना होती है।
इस की तकनीक को अपनाने से मछली की देखभाल, मछलियों की संख्या तथा अन्य शिकारियों से बचा कर रखने में सरलता होती है।
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Cage Culture क्या है ( What is Cage culture )
यह तकनीक है जिसमे पानी में ही इसे अच्छी तरह से सेट करने पर मछलियों की देखभाल की जा सकती है। यह गोल या चौकोर आकर का जाल होता है।
इस तकनीक को पानी में लगाने से मछलिया जल के अंदर ही रहती है। इसमें मछलियों को विशिष्ट आहार दिया जाता है।
आपने किस प्रकार की मछलियों का पालन किया है आहार उस पर निश्चित किया जाता है। Cage culture में छोटी छोटी मछली बीज डाला जाता है।
उसमे उनका तब तक देखभाल किया जाता है जब तक वह बाजार की मांग की पूर्ति के लिए तैयार न हो जाये। cage culture में मछलियों के लिए ऑक्सीजन की सुविधा भी दी जाती है।
जिससे मछलियों को बढ़ने में सरलता हो साथ ही साथ इसमें से कार्बन का उत्सर्जन भी कम होता है। जो की हमारे वातावरण के लिए अच्छा होता है।
इस तकनीक को जिस भी पानी में सेट करते है वह पानी कृषि के लिए काफी अच्छा माना जाता है क्योकि यह पानी मछलियों की मदद से पोषणयुक्त बन जाता है।
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Cage culture से मछली पालन कैसे करे
आपने जहां भी मछली पालन के लिए स्थान निश्चित किया है बस ध्यान रखे की वह पर जल का स्त्रोत हो वहां आप इस तकनीक को सेट कर दे।
जाल लेते समय ध्यान रखे की वह कम से कम 2.5 से 3 मीटर जितना लम्बा हो, 2 से 2.5 मीटर जितना चौड़ा हो तथा 3 से 3.5 मीटर जितना ऊंचा हो।
आपका जाल गोल या चौकोर आकर का हो सकता है। जाल मजबूत हो, जाल की क़्वालिटी अच्छी हो जिससे मछलियों को कोई रोग न हो साथी जाल की ऊंचा हो जिससे मछलिया जाल से बहार न जा सके।
इस तकनीक का उपयोग आप नदी, तालाब, या झरने जैसे पानी में ही कर सकते है। यह ध्यान रखे की वहां का पानी साफ हो और वह शिकारी एवं जानवरो का पहुंचना मुश्किल हो।
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Cage culture में जाल का प्रकार
जाल के दो प्रकार होते है।
- स्थिर जाल
- तैरता हुआ जाल
स्थिर जाल
स्थिर जाल का उपयोग आप वहां कर सकते है जहा पानी की गहराई 5 से 6 मीटर जितनी हो।वहां इस प्रकार का जाल लाभदायक होता है।
तैरता हुआ जाल
तैरते हुए जाल का उपयोग आप वह कर सकते है जहा पानी की गहराई 5 मीटर से ज्यादा हो। वहां यह जाल को लगाना सही माना जाता है।
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Cage culture में किन मछलियों का पालन कर सकते है
- सिंघी
- मांगुर
- महाशीर
- रोहू
- झींगा
इनके अलावा हम निम्न मछलियों का पालन भी कर सकते है।
- कैटफिश
- सैल्मन
- तिलापिया
Cage culture में ध्यान में रखने योग्य बाते
- इस तकनीक में लगाए जानेवाले जाल को समय समय पर साफ करते रहना चाहिए। जिससे उसके आजु बाजू गंदगी न जम पाए।
- मछलियों को दिन में दो बार आहार प्रदान करना चाहिए। जब जाल के आस पास काई जमने लगे तो आहार देने में कमी कर देनी चाहिए।
- जिन मछलियों को कोई रोग हो उन्हें तुरंत अलग कर देना चाहिए तथा उनके साथ की सभी मछलियों की जांच करानी चाहिए।
- सभी मछलियों की जांच समय समय पर करते रहना चाहिए।
- जो मछलिया बड़ी हो गई हो उन्हे जाल से अलग कर देना चाहिये।
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Cage culture में खर्च और कमाई
Cage culture यह ऐसी तकनीक है जिसमे जितना खर्च आता है उससे ज्यादा उसमे कमाई होती है। जिससे मछली पालन के लिए तकनीक काफी फायदेमंद साबित होती है।
यदि हम देखे तो हमारा जाल 40 हजार से 45 हजार में आ जायेगा इस तकनीक से मछली पालन में मजदूरी लगभग 70 हजार जितनी लग सकती है।
पंगेसियस मछलियों के बीज से लेकर खाने और देख भाल में 1.5 लाख से 2 लाख जितना खर्च आता है।
यदि हम 6 महीने का कुल खर्च देखे तो 3 लाख से 3.5 लाख रूपये का कुल खर्च आता है।
परन्तु पंगेसियस मछली के बीज 6 महीने में 8 से 10 हजार किलो जितने बीज तैयार होते है। यह मछली बाजार में लगभग 100 से 120 रूपए किलो बिकती है।
जिसके हिसाब से उसकी कुल कमाई 10 से 12 लाख की हो सकती है। यदि इसमें आपने अपने खर्च को घटा दिया तो भी इससे 7 से 8 लाख रुपये का लाभ हो सकता है।