पुनर्योजी कृषि क्या है। Regenerative Agriculture Pros and Cons
पुनर्योजी कृषि (Regenerative Agriculture) अर्थात मिट्टी में उसकी उपजाऊ शक्ति को वापस लाने की प्रक्रिया। क्योकि पुनर्योजी कृषि करने का मुख्य उद्देश्य ही यही है की खेत से जो उपजाऊ शक्ति, मिट्टी के पोषकतत्व चले गए है उनको वापस लाना।
पुनर्योजी कृषि यह मनुष्यों, जीवजंतु, मिट्टी, एवं खेती के बीच में संतुलन बनाये रखने का काम करती है। पुनर्योजी कृषि करने से जमीन की उपजाऊ शक्ति, मिट्टी का पोषकतत्व वापस आता है।
पुनर्योजी कृषि क्या है | What is Regenerative Agriculture
पुनर्योजी कृषि (Regenerative Agriculture) करने से खेती में रसायनों का उपयोग कम होता है। पुनर्योजी कृषि में खेत की जुताई भी ज्यादा नहीं करनी पड़ती जिससे जिससे खेतो की जो गुणवत्ता होती है वह बनी रहती है।
पुनर्योजी कृषि में जुताई कम होती है। जिससे जमीन का कटाव भी कम होता है। जो किसानों के लिए भी अच्छी बात होती है। पुनर्योजी कृषि करने पर खेतो में कवर फसलों को भी उगाया जाता है।
कवर फसल यह ऐसी फसल है जो खेतों में बिना काम के खरपतवार ( घास ) उग जाते है उनको रोकने का काम करती है। साथ ही साथ मिट्टी के कटाव को भी कम करती है।
क्योकि कवर फसल की जड़े मिट्टी को जड़ से एकत्रित करके रखती है। मिट्टी की गुणवत्ता को भी बनाये रखती है।
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पुनर्योजी कृषि क्यों करें?
पुनर्योजी कृषि इसलिए करनी चाहिए क्योकि जैसे जैसे टेक्नोलॉजी में विकास हो रहा है वैसे वैसे सभी क्षेत्रों में आधुनिकता देखने को मिलती है।
साथ ही जनसंख्या भी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जिससे कृषिक्षेत्र में फसलों की मांग बढ़ती जा रही है।
जिसके कारण लोग अलग-अलग रसायनिक खाद्य का उपयोग करके कम समय में ज्यादा फसलों की पैदावार करके लाभ प्राप्त करना चाहते है।
जो की सभी के लिए हानिकारक होता है। इसलिए पुनर्योजी कृषि (regenerative agriculture) करने से रसायनिक पदार्थो का उपयोग भी कम होता है। जमीन में जल एकत्रित करने की क्षमता भी बढ़ जाती है।
पुनर्योजी कृषि कैसे करें | How to do Regenerative Agriculture
पुनर्योजी कृषि को भी अन्य कृषि की तरह ही करना होता है। परन्तु पुनर्योजी कृषि (Regenerative Agriculture) में अन्य कृषि के तरह रसायनो का उपयोग नहीं करना होता है।
इसमें खाद्य भी रसायनिक नहीं बल्कि प्राकृतिक खाद्य का उपयोग करना होता है। खेती में हमें ऐसे पौधो को लगाना चाहिए जिससे मिट्टी में पौधो के कारण नाइट्रोजन, ऑक्सीजन की मात्रा बनती रहे।
जिससे मिट्टी में रसायनों के छिड़काव की कमी आयेगी। जिसके कारण मिट्टी में सुधार होगा।
पुनर्योजी कृषि के साथ साथ ऑर्गेनिक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा। जिससे किसान अलग अलग पद्धति से खेती करना भी सिखेगा।
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पुनर्योजी कृषि करने का उद्देश्य :
पुनर्योजी कृषि का मुख्य उद्देश्य यह है कि मिट्टी की गुणवत्ता में वृद्धि हो, जमीन कटाव में कमी आये और रसायनो का उपयोग भी कम हो।
साथ ही बढ़ते समय के साथ साथ मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में भी वृद्धि हो। यह खेती को विशेष रूप से मिट्टी में सुधार हो इस उद्देश्य से किया जाता है।
क्योकि लोग जितनी फसल की खेती करते है उतना रसायनो का उपयोग भी करते है। जिससे जमीन धीरे धीरे अपने गुण खो देती है और अंत में बंजर हो जाती है।
इसलिए पुनर्योजी कृषि में मिट्टी पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
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पुनर्योजी कृषि के लाभ | Regenerative Agriculture Prons
पुनर्योजी कृषि से बहुत लाभ हो सकते है। जैसे की पुनर्योजी खेती करने से मिट्टी में सुधार होता है। मिट्टी में सुधार होगा तो फसलों की पैदावार में वृद्धि होगी जिससे किसानो को आर्थिक लाभ भी होगा।
पुनर्योजी कृषि (Regenerative Agriculture) में एक ही मिट्टी में बदल बदल कर खेती करने से मिट्टी की उर्वराशक्ति बढ़ती है। साथ ही अधिक रसायनिक खाद्य का उपयोग भी नहीं होता है।
पुनर्योजी कृषि में जुताई की कमी करने पर मिट्टी में उपस्थित CO₂ गैस वातावरण में नहीं मिलती जिससे ग्लोबल वार्मिंग की समस्या में कमी आती है।
पुनर्योजी कृषि करने से कई जमीन को बंजर होने से बचाया जा सकता है।साथ ही खेतो में ऐसी फसलों की खेती भी करनी चाहिए जिनकी जड़े मिट्टी को मजबूती से बांधे रखें।
जिससे मिट्टी में जल एकत्रित भी होने लगेगा। जिससे खेत की मिट्टी जल्दी जल्दी सूखेगी नहीं और उसमे नमी बनी रहेगी।