सफेद मूसली की खेती कैसे करें | Safed Musli Farming in Hindi
इस आर्टिकल में हम सफेद मूसली ( Safed Musli ), सफेद मूसली की खेती कैसे करे, सफेद मूसली की खेती कहां होती है, सफेद मूसली के फायदे ( Benefits of Safed Musli ) के बारे में जानेगे।
सफेद मूसली एक आयुर्वेदिक पौधा है। जिसका उपयोग भारत में प्राचीन समय से अलग अलग औषधि के लिए किया जाता है। प्राचीन समय से ही इसका उपयोग आयुर्वेदिक औषधि, यूनानी, होमियोपैथिक एवं एलोपैथिक दवाइयों में किया जाता है।
इसका वैज्ञानिक नाम क्लोरोफाइटम बोरिविलियन है। आमतौर पर यह बारिश के समय में जंगल में स्वयं उग जाते है परन्तु कुछ समय से इसकी मांग बढ़ने की वजह से इसकी खेती भी की जाने लगी है।
भारत में तो इसको अभी आयुर्वेद की दृष्टि से ही देखा जा रहा है और इसका केवल औषधि में ही उपयोग किया जा रहा है परन्तु अमेरिका और इंग्लैण्ड जैसे देशो में इसको पौष्टिक आहार के रूप में देखा जा रहा है और इसका चिप्स एवं फ्लेक्स बनाये जा रहे है।
सफेद मूसली क्या है | What is Safed Musli
यह एक आयुर्वेदिक औषधि है। इसकी जड़ो का अलग अलग तरीके से औषधि बनाने में उपयोग किया जाता है। यह एक कंदयुक्त पौधा है।
प्राकृतिक रूप से यह जंगलो में बरसात के मौसम में स्वयं उग जाते थे परन्तु अब जंगलो के क्षेत्र धीरे धीरे कम होता जा रहा है। जिससे अब लोग इसकी खेती कर रहे है।
यह एक दिव्य जड़ी बूटी है जो सभी प्रकार के आयुर्वेदिक औषधि में कही न कही इसका उपयोग किया ही जाता है। भारत से लेकर विदेशो में भी इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है।
बाजार में ये कई कई किस्म में बेचीं जा रही है। कही इसके पाउडर बना कर बेचे जा रहे है तो कही पर यह टेबलेट तो कही पर इसका पाक बना कर बेचा जाता है।
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सफेद मूसली की खेती |
इसकी खेती निम्न तरीके से की जाती है।
सफेद मूसली की खेती के लिए खेत की तैयारी
इसकी खेती के लिए सबसे पहले खेत को थोड़ा गहराई से जुताई कर ले क्योकि यह कंदयुक्त पौधा है जिससे चकोरी एवं शकरकंद की तरह इसकी भी वृद्धि जमीन के अंदर होती है।
खेत की जुताई समय में जिस तरह अन्य फसलों के लिए बेसल डोस करते है उसी तरह इसमें भी बेसल डोस डाले। हो सके तो जैविक खाद का उपयोग करे।
खेत में कियारी बनाये साथ ही थोड़ी उचाई पर बेड बनाये जैसे आलू की खेती करने के लिए बेड बनाई जाती है उसी प्रकार इसकी खेती के लिए भी बेड बनाया जाता है।
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सफेद मूसली की खेती भूमि का चयन
इसकी खेती के लिए नमी वाली जमीन होनी चाहिए यदि जमीन सुख जाएगी तो इसकी जड़ अच्छे से विकसित नहीं हो पायेगी। साथ ही जल निकासी वाली जमीन होनी चाहिए इसलिए इसकी खेती में बेड तैयार करने चाहिए।
इसकी खेती के लिए सबसे अच्छी दोमट मिट्टी मानी जाती है इसके अतिरिक्त लैटराइट मिट्टी, चिकनी मिट्टी एवं बलुई मिट्टी में इसकी खेती की जाती है।
इसकी खेती पथरीली मिट्टी में नहीं की जाती क्योकि इस मिट्टी में कंद अच्छे से विकसित नहीं हो पाएंगे साथ ही इसकी खेती में नमी भी बनी नहीं रहती है।
आप जिस भी प्रकार की मिट्टी में खेती कर रहे है ध्यान रखे की उसका PH 7 से अधिक न हो साथ ही उसमे पानी का भराव न हो पाए नहीं तो सारी कंद सड़ने लगेगी।
सफेद मूसली की खेती के लिए जलवायु
इसकी खेती के लिए गर्म एवं नमी वाला मौसम अच्छा माना जाता है। क्योकि इसकी खेती बारिश के मौसम में की जाती है। इसलिए इसकी खेती के लिए नमी वाला जलवायु होना चाहिए।
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सफेद मूसली की बुवाई
इसकी खेती में बीज की बुवाई की जाती है। यदि आप पहली बार इसकी खेती कर रहे हो तो आपको इसके बीज नर्सरी से लेना पड़ेगा। यदि आपने इसकी खेती पहले की है तो इसकी छोटी कंद को ही बीज की तरह उपयोग कर सकते है।
जैसे गन्ने की खेती में गन्ने का ही उपयोग करके खेती की जाती है वैसे ही सफेद मूसली में पहले की फसल में निकली कंद के उपयोग से खेती कर सकते है।
सफेद मूसली की खेती में सिंचाई
यह बारिश के मौसम में की जाने वाली फसल है। इसमें पहली सिचाई रोपाई के समय में ही की जाती है उसके बाद समय समय के अंतराल पर की जाती है।
जिससे इसमें सिंचाई की आवश्यकता बारिश के समय में नहीं रहती है। इसमें जमीन की नमी को देख कर सिचाई करना पड़ता है जिससे महीने में 2 बार इसकी खेती की सिचाई करनी पड़ती है।
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सफेद मूसली की खेत में खरपतवार नियंत्रण
इसकी खेती में समय समय से निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए। यदि खेत में खरपतवार दिख रहे हो तो उसे साफ करते रहे या फिर उसमे दवाइयों का छिड़काव करते रहे।
इसमें अधिक रोग की समस्या देखने को नहीं मिली है बस ध्यान रखे की बीज की बुवाई के समय यदि जैविक खाद का उपयोग नहीं किया होगा तो उसके कंद में कवक लगने की समस्या देखने को मिल सकती है।
सफेद मूसली का पौधा
सफेद मूसली के फायदे Benefits of Safed Musli
इसके निम्नलिखित फायदे है।
- कैंसर को नियंत्रित करने में
- रोगप्रतिकारक क्षमता को बढ़ाने में
- sexual performance को बढ़ाने में
- वजन कम करने के लिए
- तनाव को कम करने में
- दस्त की समस्या में
- डायरिया में
- इरेक्टाइल डिसफंक्शन में
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सफेद मूसली की खेती से जुड़े सवाल जवाब
सफेद मूसली की खेती कब की जाती है?
इसकी खेती बारिश के समय में की जाती है जिससे इसकी खेती में बुवाई का समय जून से जुलाई का महीना अच्छा माना जाता है।
सफेद मूसली की खेती कहां होती है?
इसकी खेती अब सभी जगह होने लगी है परन्तु सबसे ज्यादा इसकी खेती राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, हिमाचलप्रदेश, उत्तराखंड एवं जम्मू कश्मीर में होती है।
सफेद मूसली का बीज कहां मिलेगा?
इसका बीज आपको खेती से ही प्राप्त होगा। यदि आपने या किसी ने पहले इसकी खेती की होगी तो इसकी छोटी कंद को ही बीज के रूप में खेती में बुवाई करनी पड़ती है। या फिर आपको यह जंगलो में से नहीं तो नर्सरी से प्राप्त होगा।
सफेद मूसली का भाव कितना है?
यह बाजार में ₹1000 से ₹1200 तक प्रति kg बिकती है। परन्तु इसका भाव बाजार में बदलते रहता है।
सफेद मूसली कब तैयार होती है?
इसकी खेती में बुवाई के 6 से 7 महीने बाद यह फसल तैयार हो जाती है।
सफेद मूसली कितने दिन खानी चाहिए?
यह आपको डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही खानी चाहिए।