चकोरी की खेती
से बदायूं के किसानों को दोहरा फायदा,
उबरती हुई फसल की दिलचस्पी
।
चकोरी की खेती बदायूं जनपद में उभरती हुई फसल है।
इस खेती में किसानों को
आलू, गन्ना, लहसुन
की तुलना में कम लागत और अधिक मुनाफा मिलता है।
चकोरी की खेती को
जंगली जानवरों का कोई नुकसान
नहीं पहुंचाता।
बुआई अक्तूबर-नवंबर में होती है और
अप्रैल-मई तक फसल तैयार
हो जाती है।
इसकी पैदावार
35 से 40 क्विंटल प्रति बीघा
होती है।
उपयोग में इसे
औषधीय रूप में भी कैंसर जैसी बीमारियों
में इस्तेमाल किया जाता है।
बुआई के समय इसमें
डीएपी का प्रयोग होता है
, यूरिया नहीं लगाई जाती।
चकोरी की खेती में
प्रति बीघा करीब 100 ग्राम बीज
की आवश्यकता होती है।
इस खेती से किसानों को
प्रति बीघा 14,500 रुपये
तक का लाभ मिलता है।
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